मैं एक बात साफ कहता हूं- हर किसी के नाम के आगे पूर्व लगेगा, अमित शाह भी तो अब पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हो गए हैं: ओम माथुर


जयपुर (सौरभ भट्‌ट). राजनीति में कद और पद का रिश्ता बड़ा गहरा है। पद जाते ही बड़े-बड़े नेता सियासी अज्ञातवास में चले जाते हैं। कुछ नेता ऐसे भी हैं जो सियासत की इस नब्ज को टटोलना जानते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के प्रभारी ओम माथुर की गिनती भी ऐसे ही नेताओं में होती है, जिन्होंने लंबे अरसे से प्रदेश की सक्रिय राजनीति से बाहर रहने के बाद भी यहां अपना दबदबा बरकरार रखा है।


खुद के और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को प्रदेश की राजनीति से साइडलाइन किए जाने के सवाल पर माथुर कहते हैं कि मुझे दुनिया में कोई साइडलाइन नहीं कर पाएगा, जिस दिन मेरा मन होगा उसी दिन होऊंगा। वसुंधरा राजे को लेकर उनका कहना है कि पार्टी में कोई साइडलाइन नहीं होता सिर्फ भूमिका बदल जाती है, भाजपा तो बदलती रहती है।


प्रदेश भाजपा की उथल-पुथल भरी राजनीति के इस दौर में माथुर इन दिनों काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं। वे लगातार प्रदेश के दौरे कर रहे हैं। प्रदेश संगठन के नेताओं से मेल-मुलाकात भी कर रहे हैं। माथुर का कहना है कि मैं जब भी राजस्थान आऊंगा उस दिन मेरा नाम आएगा ही आएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राजनीति में पद महत्वपूर्ण नहीं क्योंकि हर किसी के नाम के आगे पूर्व लगता है।


भास्कर -पार्टी में इन दिनों पूर्व संगठन महामंत्री प्रकाशचंद की सक्रियता भी चर्चा में है। कहा जा रहा है कि इससे प्रदेश इकाई में मतभेद हो रहे हैं?
ओम माथुर-मुझे नहीं लगता कि वे एक्टिव हुए होंगे। लेकिन प्रचारक के नाते उनके दायित्व का केंद्र तो यहीं है। इसलिए कभी छोटी-मोटी चर्चा में आते होंगे। अगर ऐसा है तो होना नहीं चाहिए। उनके पास संघ का दायित्व है। लेकिन मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है।


सवाल- विधानसभा चुनाव हारने के बाद भाजपा में प्रदेश लीडरशिप का वैक्यूम आ गया। कहा जा रहा है- वसुंधरा राजे का अब वैसा दबदबा नहीं रहा?


ओम माथुर:  राजनीति में जीत-हार चलती रहती है। पार्टी में कोई साइडलाइन नहीं होता। पार्टी में यह क्यूं मानते हैं कि मैं हमेशा उसी स्थान पर रहूंगा। ये तो राजनीति है। भाजपा तो बदलती रहती है। अमित शाह ने सोचा था क्या कि मैं कभी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनूंगा। ये हमारा इंटरनल लाेकतंत्र है। मैं राजस्थान में किसी भूमिका में हूं तो इसका मतलब साइडलाइन होना थोड़े हो गया।


सवाल-प्रदेश की राजनीति में आपकी सक्रियता एक बार फिर से चर्चा में है? क्या आप प्रदेश में आने की तैयारी कर रहे हैं?


ओम माथुर : मैं जब भी राजस्थान आऊंगा उस दिन मेरा नाम आएगा ही आएगा। लेकिन मैं सिर्फ यह मानता हूं कि कार्यकर्ता के नाते पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, मुझे उसे पूरा करना है। राजस्थान में पिछले 48 सालों से सार्वजनिक जीवन में काम कर रहा हूं। इसलिए अन्य जगहों से प्रवास करते हुए भी मैं यहां लोगों से संपर्क में रहने की कोशिश करता हूं।


सवाल- जोधपुर में अमित शाह की रैली हुई... उसमें आप और वसुंधरा राजे दोनों ही नहीं गए,क्या पार्टी में अनदेखी किए जाने को लेकर नाराजगी थी?


ओम माथुर: मुझे तो दुनिया में कोई साइडलाइन कर ही नहीं पाएगा, जिस दिन मेरा मन होगा उसी दिन होऊंगा। वसुंधरा जी बड़ी नेता हैं इसलिए यह बात जोड़ दी गई कि उन्हें साइडलाइन कर दिया गया है। मुझे सतीश जी और चंद्रशेखर दोनों ने फोन कर बुलाया था लेकिन 2 जनवरी को मेरा जन्मदिन था और प्रदेश भर से कार्यकर्ता मेरे घर आए थे। इसलिए मुझे नहीं लगा मुझे जाना चाहिए।


सवाल- पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए आपका नाम चर्चाओं में था?


ओम माथुर : ये पार्टी का पार्लियामेंट बोर्ड तय करता है। मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मेरा नाम चलता है। वैसे, ये तो आप लोग ही चलाते हो। मेरे को पार्टी ने खूब काम दे रखा है। मैं एक बात साफ कहता हूं कि हर किसी के नाम के आगे पूर्व लगेगा। अमित शाह जी भी अब पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हो गए हैं।


सवाल- घनश्याम तिवाड़ी क्या फिर से पार्टी में आने की सोच रहे हैं?


ओम माथुर: घनश्याम तिवाड़ी हमारे कहने से थोड़े ही गए थे। उनको आना है या नहीं आना है यह तो उनपर निर्भर करता है। घनश्यामजी जैसे वरिष्ठ व्यक्ति गए तो आखिर उनके मन में कुछ जंची होगी। मेरी तो उनसे कोई बात भी नहीं हुई। 
 


पूर्व संगठन मंत्री प्रकाशचंद्र के सवाल पर उन्होंने कहा- मुझे नहीं लगता कि वे एक्टिव हुए होंगे। प्रचारक के नाते कभी चर्चा में आते होंगे।


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